तन्हाई में जिनको सुकून-सा मिलता है,
आईना भी उनको दुश्मन-सा लगता है।
दिल में उसके चाहे जो हो तुझको क्या,
होठों से तो तेरा नाम जपा करता है।
तेरी जिन आंखों में फागुन का डेरा था,
बात हुई क्या उनमें अब सावन बसता है।
वो तो दीवाना है उसकी बातें छोड़ो,
अपने ग़म को ही अपनी ग़ज़लें कहता है।
ख़ामोशी भी कह देती है सारी बातें,
दिल की बातें कब कोई मुंह से कहता है।
-महेन्द्र वर्मा
आईना भी उनको दुश्मन-सा लगता है।
दिल में उसके चाहे जो हो तुझको क्या,
होठों से तो तेरा नाम जपा करता है।
तेरी जिन आंखों में फागुन का डेरा था,
बात हुई क्या उनमें अब सावन बसता है।
वो तो दीवाना है उसकी बातें छोड़ो,
अपने ग़म को ही अपनी ग़ज़लें कहता है।
ख़ामोशी भी कह देती है सारी बातें,
दिल की बातें कब कोई मुंह से कहता है।
-महेन्द्र वर्मा