खामोशी भी कह देती हैं सारी बातें




तनहाई में जिनको सुकून सा मिलता है,
आईना भी उनको दुश्मन सा लगता है।


किसको आखि़र हम अपनी फरियाद सुनाएं,
हर चेहरा फरियादी जैसा ही दिखता है।


दिल में उसके चाहे जो हो, तुझको क्या,
होठों से तो तेरा नाम जपा करता है।


तेरी जिन आंखों में फागुन का डेरा था,
बात हुई क्या, उनमें अब सावन बसता है।


किसी परिंदे के पर चाहे, काटो फिर भी,
दूर उफ़क तक उसका मन उड़ता फिरता है।


ख़ामोशी भी कह देती हैं सारी बातें,
दिल की बातें कोई कब मुंह से कहता हैं।


वो तो दीवाना है, उसकी बातें छोड़ों,
अपने ग़म को ही अपनी ग़ज़लें कहता है।

                                                                         -महेन्द्र वर्मा

37 comments:

राजेश उत्‍साही said...

बहुत बड़ी है जिंदगी की कहानी।

संजय भास्‍कर said...

आदरणीय महेंदर वर्मा जी..
नमस्कार !

तेरी जिन आंखों में फागुन का डेरा था,
बात हुई क्या, उनमें अब सावन बसता है।

बेहतरीन ग़ज़ल कमाल है.......दिल से मुबारकबाद|
संजय भास्कर

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

महेंद्र जी!सुंदर भावों से सजी एक सुंदर ग़ज़ल...एक सुझाव..
किसको आखि़र हम अपना फरियाद सुनाएं को
किसको आखि़र हम अपनी फरियाद सुनाएं, कर लें!!

vandana gupta said...

तेरी जिन आंखों में फागुन का डेरा था,
बात हुई क्या, उनमें अब सावन बसता है।


किसी परिंदे के पर चाहे, काटो फिर भी,
दूर उफ़क तक उसका मन उड़ता फिरता है।


ख़ामोशी भी कह देती हैं सारी बातें,
दिल की बातें कोई कब मुंह से कहता हैं।

हर शेर संजोने लायक्……………बेहतरीन गज़ल ।

Sunil Kumar said...

वो तो दीवाना है, उसकी बातें छोड़ों,
अपने ग़म को ही अपनी ग़ज़लें कहता है।
खुबसूरत शेर बहुत बहुत बधाई

महेन्‍द्र वर्मा said...

सलिल जी, ग़ज़ल सराहने के लिए घन्यवाद।
आपने वर्तनी की त्रुटि की ओर ध्यानाकर्षित किया, त्रुटि सुधार दी गई है...पुनः धन्यवाद।

महेन्‍द्र वर्मा said...

आदरणीय उत्साही जी, भास्कर जी, वंदना जी और सुनील जी,
आप सब के प्रति आभार।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

ख़ामोशी भी कह देती हैं सारी बातें,
दिल की बातें कोई कब मुंह से कहता हैं।


वो तो दीवाना है, उसकी बातें छोड़ों,
अपने ग़म को ही अपनी ग़ज़लें कहता है।

वाह , क्या बात कही है ..बहुत सुन्दर ...

M VERMA said...

तेरी जिन आंखों में फागुन का डेरा था,
बात हुई क्या, उनमें अब सावन बसता है।

बेहतरीन जज़्बात सुन्दर गज़ल

ZEAL said...

.

तेरी जिन आंखों में फागुन का डेरा था,
बात हुई क्या, उनमें अब सावन बसता है...

---

All the couplets are so close to reality.

.

Kunwar Kusumesh said...

"किसको आखि़र हम अपनी फरियाद सुनाएं,
हर चेहरा फरियादी जैसा ही दिखता है"

सच कहा आपने,बिलकुल यही हालात है आजकल के

"तेरी जिन आंखों में फागुन का डेरा था,
बात हुई क्या, उनमें अब सावन बसता है"

क्या बात है महेंद्र जी,
अच्छे शेर कह रहे हैं आप

Shikha Kaushik said...

khamoshi bhi kah deti hai ...'' sabse achcha sher laga .

Dr Xitija Singh said...

तनहाई में जिनको सुकून सा मिलता है,
आईना भी उनको दुश्मन सा लगता है।

बहुत खूब महेंद्र जी.. हर शेर लाजवाब है .... बेहतरीन प्रस्तुति ...

डॉ. मोनिका शर्मा said...

किसको आखि़र हम अपनी फरियाद सुनाएं,
हर चेहरा फरियादी जैसा ही दिखता है।

बेहतरीन ....

मनोज कुमार said...

अच्छी ग़ज़ल, जो दिल के साथ-साथ दिमाग़ में भी जगह बनाती है। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
विचार::क्षमा

उपेन्द्र नाथ said...

bahoot sunder gazal.. har pankti bejod hai.

महेन्‍द्र वर्मा said...

संगीता जी, एम.वर्मा जी, दिव्या जी,क्षितिजा जी, मनोज जी, उपेन्द्र जी,
कुसुमेश जी, डॉ. मोनिका जी और शिखा जी,
आप सबके प्रति हृदय से आभार।

Shah Nawaz said...

किसको आखि़र हम अपनी फरियाद सुनाएं,
हर चेहरा फरियादी जैसा ही दिखता है।



बढ़िया ग़ज़ल है!


प्रेमरस.कॉम

RAJWANT RAJ said...

aakho me fagun ka dera our ab vha sawan ka bsera bhut hi khoobsoorat bimb .
marmik !adbhut shabd syojan !

रंजना said...

बहुत बेहतरीन रचना...

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

महेन्‍द्र जी, खामोशी अक्‍सर सारी बातें कह देती है। आपने बहुत ही सुंदर गजल लिखी है। बधाईयां।

---------
वह खूबसूरत चुड़ैल।
क्‍या आप सच्‍चे देशभक्‍त हैं?

राजकुमार सोनी said...

महेंद्र जी आपकी रचना दमदार है
अच्छा लगा पढकर

ashish said...

वाह , खूबसूरत ग़ज़ल , बेहतरीन शेरो से सजी हुई . आभार .

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

ख़ामोशी भी कह देती हैं सारी बातें,
दिल की बातें कोई कब मुंह से कहता हैं।

बहुत सुन्दर रचना !

Bharat Bhushan said...

किसको आखि़र हम अपनी फरियाद सुनाएं,
हर चेहरा फरियादी जैसा ही दिखता है।

सुंदर रचना.

ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηι said...

किसको अपनी मन की फ़रियाद सुनायें, हर चेहरा फ़रियादी जैसा दिखता है, बेहतरीन शे'वर्मा जी मुबारकबाद्।

दिगम्बर नासवा said...

किसी परिंदे के पर चाहे, काटो फिर भी,
दूर उफ़क तक उसका मन उड़ता फिरता है ...

दिल की गहराई से निकले हुवे शेर हैं सब ... आदाब है हमारा इस लाजवाब ग़ज़ल के लिए .... सुभान अल्ला ..

उस्ताद जी said...

5.5/10

सुंदर गजल है आपकी
कई पंक्तियाँ असरदार हैं जो ध्यान खींचती हैं :
"किसी परिंदे के पर चाहे, काटो फिर भी,
दूर उफ़क तक उसका मन उड़ता फिरता है।"

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 28 - 07- 2011 को यहाँ भी है

नयी पुरानी हल चल में आज- खामोशी भी कह देती है सारी बातें -

Dorothy said...

किसी परिंदे के पर चाहे, काटो फिर भी,
दूर उफ़क तक उसका मन उड़ता फिरता है।


ख़ामोशी भी कह देती हैं सारी बातें,
दिल की बातें कोई कब मुंह से कहता हैं।

बेहद खूबसूरत गजल. आभार...
सादर,
डोरोथी.

Anupama Tripathi said...

zindagi ki sachchaai se kareeb ...sunder ghazal...

mridula pradhan said...

वो तो दीवाना है, उसकी बातें छोड़ों,
अपने ग़म को ही अपनी ग़ज़लें कहता है।
bahut khoobsurat likhe hain......

सदा said...

वाह ...बहुत ही बढि़या ...।

Yashwant R. B. Mathur said...

ख़ामोशी भी कह देती हैं सारी बातें,
दिल की बातें कोई कब मुंह से कहता हैं।

बहुत खूब सर।

सादर

रेखा श्रीवास्तव said...

khamoshi hi kah deti hai sari baaten,
dil kee baten koi kab munh se kahata hai.


bahut sundar bhav.
bhav kab shabdon ke muhtaj hue hain
chehre aur aankhen sab kah deti hain.

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

हर शेर लाजवाब....
सादर..

अनामिका की सदायें ...... said...

bahut acchhi prastuti.

mera blog apki raah dekh raha hai.